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10 June, 2021

जून की झुलसाती ग़ज़ल पढ़िए ...

 


जून की झुलसाती ग़ज़ल


धूप वैसे ही कड़ी है यार

उसपे दुपहर की घड़ी है यार


जनवरी में चित पड़ी थी धूप

जून में तन कर खड़ी है यार


धूप का दुःख पूछिये जिनकी

चाँद जैसी खोपड़ी है यार


तुम तो ऐसे छुप गए घर में

धूप जैसे हथकड़ी है यार


हम कभी बौने कभी लंबे

धूप जादू की छड़ी है यार


नौ बजे बजने लगे बारह

कैसी सूरज की घड़ी है यार


                   (प्रदीप चौबे)