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03 April, 2025

वक्फ संशोधन विधेयक पर पसमांदा मुस्लिम समाज की नाराजगी


लखनऊ : पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने वक्फ संशोधन विधेयक के संसद में पेश होने पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में कुछ प्रावधान ऐसे हैं जो वक्फ संपत्तियों और मुस्लिम समुदाय के हितों के खिलाफ हैं।

मंसूरी ने विशेष रूप से वक्फ बोर्ड में दो गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने के प्रस्ताव को अनुचित बताया। उन्होंने कहा कि इससे वक्फ प्रबंधन की मूल भावना प्रभावित होगी, क्योंकि वक्फ संपत्तियाँ मुस्लिम समाज की धार्मिक और सामाजिक धरोहर हैं, जिनका संचालन समुदाय के धार्मिक मूल्यों के अनुरूप होना चाहिए।

उन्होंने वक्फ संपत्तियों की पंजीकरण प्रक्रिया में किए गए बदलावों पर भी नाराजगी जाहिर की। नए नियमों के तहत आवेदन सीधे कलेक्टर (सर्वे कमिश्नर) के पास जाएगा, जो यह तय करेगा कि संपत्ति को वक्फ के रूप में मान्यता दी जाए या नहीं। मंसूरी के अनुसार, यह प्रावधान पारदर्शिता और न्यायसंगत प्रक्रिया के खिलाफ है। उन्होंने आशंका जताई कि इससे कई वक्फ संपत्तियाँ अस्तित्वहीन हो सकती हैं, जिससे मुस्लिम समुदाय को गंभीर नुकसान होगा।

इसके अलावा, सरकार द्वारा चुने गए ऑडिटरों के पैनल के माध्यम से वक्फ संपत्तियों की जांच के प्रावधान पर भी उन्होंने आपत्ति जताई। मंसूरी ने कहा कि यह वक्फ प्रबंधन की स्वायत्तता के खिलाफ है और निष्पक्षता को प्रभावित कर सकता है। उन्होंने मांग की कि ऑडिट की प्रक्रिया स्वतंत्र और निष्पक्ष होनी चाहिए।

हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वक्फ संपत्तियों पर मौजूदा संकट के लिए भ्रष्ट वक्फ चेयरमैन, मेंबर, अफसर और दलाल कर्मचारी ही जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा, "वक्फ संशोधन बिल न मोदी का अजाब है, न योगी का, बल्कि यह उन भ्रष्ट वक्फ चेयरमैनों, मेंबरों, अफसरों और दलाल कर्मचारियों पर अल्लाह का कहर है, जो वक्फ की जायदाद को अपनी बपौती समझ बैठे थे। यह उन लुटेरे मुतवल्लियों के लिए अल्लाह का इंसाफ है, जिन्होंने पसमांदा मुसलमानों, यतीमों और बेबसों के हक पर डाका डाला था।"

पसमांदा मुस्लिम समाज ने इस विधेयक के विवादास्पद प्रावधानों का कड़ा विरोध जताया है और सरकार से मांग की है कि इन आपत्तिजनक बिंदुओं को हटाया जाए ताकि वक्फ संपत्तियों की स्वायत्तता और धार्मिक स्वतंत्रता सुरक्षित रह सके।


Edited by Haribhan Yadav