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03 April, 2022

अब झारखंड राज्य में आम आदमी पार्टी अपने लिए संभावनाएं तलाश रही है

 


नई दिल्ली : हमारा देश सनातनी संस्कारों में पला और बढ़ा है लेकिन आज  पश्चिमी सभ्यता और संस्कृति हमारे युवाओं पर हावी है ।धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देते हुए सर्व धर्म सम भाव की नीतियों पर देश लोकतंत्र और संविधान पर कहने को कांग्रेस भी चल रही थी ,लेकिन तुष्टिकरण की नीतियों और वोट बैंक की चाहत ने कांग्रेस को हिंदुओं से दूर किया ।जिसका फायदा हिंदूवादी संगठन और आरएसएस, बीजेपी  शिवसेना को प्रत्यक्ष रूप से मिली ।

कांग्रेस से बगावत कर अन्ना हजारे भी सत्ता परिवर्तन के लिए आगे आए ।

अन्ना हजारे के भूख हड़ताल से उपजे हुए केजरीवाल ने अपने आपको अन्ना हजारे का प्रतिनिधि होने की घोषणाएं कर दी ।

दिल्ली विधान सभा चुनाव में कांग्रेस का घटता हुआ जनाधार शीला दीक्षित १५ सालों तक मुख्यमंत्री बनी रही ।सोनिया और राहुल का हस्तक्षेप खेल ग्राम में व्यापक घोटाला से कांग्रेस कमजोर होती चली गई और जनता को विकल्प बीजेपी या अन्य तीसरे मोर्चे की तलाश होने लगी ।

 दिल्ली प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष पर पार्टी का अविश्वास और किरण बेदी को मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में उतारना ,बीजेपी में अंदरूनी घात चरम पर था ।

इधर केजरीवाल ने अन्ना के विरोध के बावजूद आम आदमी पार्टी का गठन कर कांग्रेस और बीजेपी दोनों को झटका दे दिया ।

कांग्रेस से दूर मतदाता , मुस्लिम मतदाता ,बीजेपी के असंतुष्ट कार्यकर्ता  के साथ किरण बेदी के विरोधी दिल्ली के एडवोकेट का विरोध किरण बेदी के लिए ,कुछ लोक लुभावन नारे में फसने वाले दिल्ली की जनता और सिक्खों का समर्थन आम आदमी पार्टी को मिला ।सरकार बनी आम आदमी पार्टी की दिल्ली और पंजाब में हिंदू बिरोधियों की जीत हुई जिसमे खालिस्तान समर्थक ,कथित किसान नेता जिसमे पंजाबी, मुस्लिम और अलगाववादियों की फौज तैयार हो गई ।कांग्रेस की अंदरूनी कलह ,बीजेपी का विरोध और नतीजा आया आम आदमी पार्टी की जीत ।

लेकिन ये स्थिति भारत के अन्य राज्यों में आना असंभव है ।

हिंदू बहुल राज्य में बीजेपी है ,कांग्रेस  दम तोड़ती नजर आती है अब आम आदमी पार्टी पूरे विपक्ष का नेतृत्व करते हुए लोक सभा का चुनाव लडे तो एक तगड़ा विपक्ष का रोल निर्वाह कर सकता है ।झारखंड में आदिवासी संथाल पहाड़िया को अपने पार्टी में लाना और सदस्य बनना  टेढ़ी खीर है ।

यहा जेएमएम और बीजेपी इन दोनो में टकराव है ।दोनो के खेमों में मतदाता बंटे हुए हैं ।बिहार  से  आकर झारखंड में घर बनाकर रहने वाले की तायदाद भी काफी अच्छी है और उनका समर्थन बीजेपी की ओर है ।

आम आदमी पार्टी को पंचायत से लेकर राज्य स्तर तक संगठन मजबूत करनी होगी । अभी ये पहला प्रयास  जारी है हेमकांत ठाकुर जैसे गंभीर शिक्षित राजनेता  गोड्डा में आकर धीरे धीरे अपनी पार्टी के संगठन और विस्तार की सफलता के लिए प्रयास कर रहे हैं । गोड्डा  विधानसभा चुनाव त्रिकोणीय है । बीजेपी ,कांग्रेसऔर जेएमएम के मध्य ये लड़ाई है । कांग्रेस और जेएमएम मिलकर  अगर बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ते हैं तो छोटे मोटे दल भी इन्ही के साथ जाएंगे और बीजेपी को अपने दम पर ही चुनाव लडना पड़ेगा ।अब आम आदमी पार्टी को इन सबको अपने पक्ष में खड़ा कर अगर चुनाव लड़ती है तो निश्चित रूप से इसका प्रभाव पड़ेगा । आम आदमी पार्टीअकेले अगर चुनाव  लड़ती है तो परिणाम कुछ बेहतर नही होंगे ।गोड्डा विधान सभा  सीट बीजेपी राजद और जेएमएम इन तीनो के मध्य मुख्य संघर्ष है । पोडैया हाट विधायक प्रदीप यादव के कांग्रेस में आने से कांग्रेस मजबूत हुई है । ये आम आदमी पार्टी को सबसे बड़ा घाटा होगा । राजद के अपने वोट बैंक हैं मुस्लिम और यादव । कांग्रेस में कुछ ब्राम्हण कुछ मुस्लिम कुछ यादव एक मत नही लेकिन बिखरे हुए बोट मिलेंगे ।ऐसी स्थिति में आम आदमी पार्टी के वोटर कौन होंगे ?

कुछ कुछ हर जाति से वोट मिलेंगे किसी भी एक जाति का पूरा समर्थन नहीं मिलेगा ।

यहां बीजेपी और राजद की मुख्य लड़ाई है राजद  की टक्कर बीजेपी से है ।अगर बीजेपी के बोटर आम आदमी पार्टी में शिफ्ट हो तो आम आदमी पार्टी  की जीत का मार्ग प्रशस्त करेगी ।लेकिन बीजेपी को छोड़कर आम आदमी पार्टी में आम जनता की अभिरुचि संभव नहीं है ।


न्यूज़ ऑफ इंडिया (न्यूज एजेंसी)