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14 July, 2021

पाठ्यक्रम में असमानता के कारण हो रहा है शोषण




अनुसूचित जनजाति की अनिता ने तमिलनाडु स्टेट बोर्ड की बारहवीं की परीक्षा में 98% अंक लाए थे. दिहाड़ी मजदूर की बेटी को डॉक्टर बनने के लिए NEET परीक्षा में बैठना अनिवार्य था. NEET में अनिता ने कम अंक हासिल किया.


अनिता ने NEET के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की और बिना बसपा सपा आरजेडी और डीएमके की मदद से अकेले भीड़ गयी.


अनिता का दमदार तर्क तमिलनाडु स्टेट बोर्ड का पाठ्यक्रम और NEET के पाठ्यक्रम में कोई समानता नही. NEET में बैठने के लिए कोचिंग क्लास करना मजबूरी है. दो लाख से लेकर दस लाख तक कोचिंग क्लास NEET की पढ़ाई के लिए वसूलते हैं.


राज्यों के बोर्ड में बेहतर अंक हासिल करने वाले ग्रामीण गरीब छात्र NEET में असफल हो जाते हैं. 


सुप्रीम कोर्ट में NEET के पक्ष में बहस करने के लिए पी चिदंबरम की पत्नी नलिनी चिदंबरम खड़ी हुई. नलिनी ने अपनी बहस में कहा मेडिकल एडमिशन NEET परीक्षा के तहत ही होना चाहिए. और अगर NEET के खिलाफ दुबारा याचिका दाखिल करनी है तो वह भगवान के सामने ही हो सकती है.


नलिनी चिदंबरम जीत गयी. NEET यानी कांग्रेस सरकार ने नलिनी को करोड़ों रुपए फीस दी. और हारने वाली अनिता एक सितंबर 2017 को अपनी ज़िंदगी से हार गयी.


NEET में आरक्षण नही, NEET को खत्म करने की मांग होनी चाहिए. नही तो NEET हमारे होनहार बच्चों का भविष्य खत्म करते रहेंगे.

-क्रांति कुमार