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03 July, 2021

लगातार 16 साल तक समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बने रहने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और लोकतंत्र सेनानी थे ...


लखनऊ :

वे ईमानदारी और सादगी की मूर्ति थे । उनका पूरा जीवन समाजवादी आंदोलन को समर्पित रहा । उन्हीं की गवाही पर तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती गांधी के विरूद्ध उच्च न्यायालय का फैसला आया था । राजधानी लखनऊ के "लोक भवन" में स्व० रामशरण दास की आदमकद मूर्ति लगाने की घोषणा होनी थी किन्तु सत्ता परिवर्तन के पश्चात अटल बिहारी वाजपेयी की मूर्ति स्थापित हुई । 

            स्व० राम शरण दास 16 साल तक सपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे । वे गरीबों, किसानों, नौजवानो की मदद में आगे रहते थे । समाजवादी पार्टी उनके बताए रास्ते पर ही चल रही है । महामना मुलायम सिंह यादव के साथ वे जीवन पर्यन्त कंधा से कंधा मिलाकर चलते रहे थे ।

   वरिष्ठ समाजवादी नेता, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, लोहिया के अनुयायी कहे जाने वाले रामशरण दास उस सियासी जमात के आखिरी लोगों में थे जिन्होंने देश और समाज की बेलौस खिदमत की लेकिन अपने लिए एक अदद आशियाना भी न बना सके । रामशरण दास जी ईमानदारी, सतत संघर्ष एवं समाजवाद की जीवन प्रतिमा थे । वे बाल्यावस्था में लोहिया और समाजवाद से जुड़े तथा जीवनपर्यन्त समाजवाद के कंटकाकीर्ण पथ पर चलते रहे ।


 रामशरण दास जी का जन्म 03 जुलाई 1927 को हुआ था । वे जीवनपर्यन्त समाजवादी आंदोलन और विचारधारा के प्रति समर्पित रहे । श्री दास दो बार कैबिनेट मंत्री, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, एम०एल०ए० और एम०एल०सी० एवं सपा के 16 साल प्रदेश अध्यक्ष रहे । उन्होंने पूरा जीवन समाजवादी आन्दोलन को मजबूत करने में लगा दिया ।

    वे ऐसे समाजवादी थे जो कभी अन्याय के आगे झुके नहीं, बड़े से बड़े पद का लोभ भी उन्हें कर्तव्यपथ से डिगा नहीं सका । उन्होंने आपातकाल का विरोध किया और कारागार की यातना सही । 05 नवम्बर 1992 को समाजवादी पार्टी के गठन के बाद उनकी सादगी, त्याग और समर्पणभाव को देखते हुए उन्हें सपा का पहला प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया, और फिर वे आजीवन इस पद पर बने रहे  । रामशरण दास लोहिया की ‘‘सप्तक्रांति’’ ‘‘विकेन्द्रीयकरण’’ ‘‘दाम बांधो’’ ‘‘सामंती भाषा हटाओ’’ ‘‘नदियां साफ करो’’ जैसी अवधारणाओं में गहरी आस्था रखते थे । वे कहा करते थे कि “साम्प्रदायिकता समाज का सबसे बड़ा शत्रु और कैंसर है जिसे जड़ से नष्ट किए बिना देश का भला नहीं होगा । साम्प्रदायिकता को ध्वस्त करना ही समाजवादियों का मूल कर्तव्य है।”  इनका महाप्रयाण 21 नवम्बर 2008 को हुआ ।

 -राकेश यादव, लखनऊ