दिल्ली : जिन्हें आप तस्वीर में देख रहे हैं, वह कोई सफाई कर्मचारी नहीं, बल्कि वडोद तालुका स्कूल के प्रिंसिपल हैं, जो अपने ही स्कूल के फर्श पर पोछा लगाकर उसे चमका रहे हैं । गिरिशभाई बावलिया, 13 साल शिक्षक रहने के बाद HTAT में सफल हुए और प्राथमिक विद्यालय में प्रिंसिपल के रूप में नियुक्त हुए । अगर आप इनके इस सरकारी स्कूल में जाएंगे, जो कि वडोद गाँव के जस्दन तालुका में स्थित है, तो आप किसी भी प्राइवेट स्कूल को भूल जाएंगे, जो आजकल हजारों में फीस वसूलते हैं ।
गिरिशभाई रोज स्कूल शुरू होने से एक घंटे पहले आते हैं । प्रिंसिपल होते हुए भी, अपनी पोस्ट को बगल में रख, हाथ में झाड़ू उठा खुद सफाई करते हैं । कभी-कभी तो कचरा भी खुद ही उठाते हैं । अगर शौचालय को साफ़ करनेवाले नहीं आए, तो उस दिन वह खुद ही शौचालय भी साफ़ करते हैं ।
मैंने उनसे एक दिन पूछा, आप ऐसा क्यों करते हैं, उन्होंने कहा यह मेरा कर्तव्य है कि जब बच्चे इस विद्यालय में पढ़ने आए, तो उन्हें शिक्षा के साथ-साथ साफ़ वातावरण भी मिले । गाँव के इन बच्चो को साफ़-सफाई पढ़ाई नहीं जा सकती, इन्हें यह देखकर सीखना होगा । 'कोई भी काम छोटा नहीं होता', बच्चो को यह जरुरी बात शब्दों से नहीं सिखाया जा सकता, बल्कि आचरण से सिखाया जा सकता है ।
संस्कृत में कहते हैं, जो हमारे अंदर आचरण डालता है वह आचार्य हैं । गिरीषभाई अपने स्कूल के सभी शिक्षकों और विद्यार्थियों को बिना बोले ही अपने व्यवहार से यह ज़रूरी बात सिखाते हैं । इस स्कूल को पंचायत की तरफ से अनुदान भी दिया गया है । इसके साथ ही, गिरीषभाई अपनी बचत के पैसों से स्कूल में और भी सुविधाएं लाने की कोशिश कर रहे हैं । इस काम में प्रिंसिपल के साथ-साथ शिक्षक भी भरपूर मदद कर रहे हैं । उसी स्कूल में मेरे एक और दोस्त हैं जिग्नेशभाई जो शिक्षक हैं और एक बहुत अच्छे पेंटर भी हैं । जिग्नेशभाई, पूरी छुट्टी प्रिंसिपल के साथ रोज स्कूल जाते और दीवारों को रंगों से सजाते, जो बच्चो को खूब पसंद आ रहा हैै ।
जिन्हें बहाने बनाने हैं वे बहाने बनाएंगे, जिन्हें गलतियां करनी हैं वे गलतियां करेंगे, लेकिन जिन्हें काम करना है वे काम करेंगे ।
-( शैलेश सागपरिया, साभार)