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30 May, 2021

30 मई 1857 को हुआ प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का आगाज

 


आज का इतिहास -

  30 मई 1857  को निश्चित हुआ प्रथम भारतीय आजादी का संघर्ष  "रोटी व कमल"  था सांकेतिक निशान -


"उनकी तुरबत पर नहीं है एक भी दीया,

जिनके खूँ से जलते हैं ये चिरागे वतन।

जगमगा रहे हैं मकबरे उनके,

बेचा करते थे जो शहीदों के कफन।।"


    राव तुलाराम के नेतृत्व में सैनिकों ने मुगल सम्राट बहादुरशाह द्वितीय को दिल्ली का सम्राट घोषित कर दिया । शीघ्र ही विद्रोह लखनऊ, इलाहाबाद, कानपुर, बरेली, बनारस, बिहार और झांसी में भी फैल गया । अंग्रेजों ने पंजाब से सेना बुलाकर सबसे पहले दिल्ली पर अधिकार किया । 21 सितंबर, 1857 ई. को दिल्ली पर अंग्रेजों ने पुनः अधिकार कर लिया, परन्तु संघर्ष में 'जॉन निकोलसन' मारा गया और लेफ्टिनेंट 'हडसन' ने धोखे से बहादुरशाह द्वितीय के दो पुत्रों 'मिर्ज मुगल' और 'मिर्ज ख्वाजा सुल्तान' एवं एक पोते 'मिर्जा अबूबक्र' को गोली मरवा दी । लखनऊ में विद्रोह की शुरुआत निश्चित 30 मई 1857 ई. को हुई । यहां के क्रांतिकारी सैनिकों द्वारा ब्रिटिश रेजिडेंसी के घेराव के बाद ब्रिटिश रेजिडेंट 'हेनरी लॉरेन्स' की मृत्यु हो गई । हैवलॉक और आउट्रम ने लखनऊ को दबाने का भरकस प्रयत्न किया, लेकिन वे असफल रहे । एक वर्ष तक लखनऊ ब्रितानियों से आज़ाद  रहा, आखिर में कॉलिन कैंपवेल' ने गोरखा रेजिमेंट के सहयोग से मार्च, 1858 ई. में शहर पर अधिकार कर लिया । वैसे यहां क्रांति का असर सितंबर तक रहा ।

    1857 का संग्राम एक साल से ज्यादा समय तक चला । इसे 1858 के मध्य में कुचला गया । 8 जुलाई, 1858 को आखिरकार कैनिंग ने घोषणा किया कि विद्रोह को पूरी तरह दबा दिया गया है ।

 (राकेश यादव, लखनऊ)