नोएडा पुलिस पर एक गंभीर आरोप सामने आया है, जिसमें एक दलित बीटेक छात्र को बिना वारंट और नोटिस के जबरन उठाकर फर्जी एनकाउंटर में घायल करने का मामला दर्ज हुआ है।
मामला 5 अगस्त 2022 का है, जब पुलिस ने दिल्ली से बीटेक छात्र सोमेश को कथित रूप से अगवा किया। अगले दिन, 6 अगस्त को उसे जेवर इलाके में ले जाकर पुलिस ने एनकाउंटर का नाटक रचा और उसे पैर में गोली मार दी। पुलिस ने दावा किया कि उन्होंने एक कुख्यात अपराधी के हत्यारे को पकड़ लिया है और उसके पास से एक पिस्टल भी बरामद की गई है।
हालांकि, छात्र के पिता द्वारा अदालत में प्रस्तुत की गई CCTV फुटेज ने पुलिस के दावे की पोल खोल दी। फुटेज में स्पष्ट रूप से दिखा कि छात्र को दिल्ली से जबरन उठाया गया था। इसके आधार पर अदालत के आदेश पर 12 पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
इस मामले ने उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्यशैली और मानवाधिकारों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आलोचकों का कहना है कि यूपी पुलिस अब कानून व्यवस्था बनाए रखने की संस्था न रहकर सत्ता संरक्षण में काम करने वाला एक खौफनाक गिरोह बनती जा रही है, जो फर्जी मुठभेड़ों के जरिए न केवल निर्दोष लोगों को निशाना बना रही है, बल्कि राजनीतिक लाभ और पदोन्नति के लिए मानवाधिकारों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रही है।
इस घटना ने राज्य में पुलिस सुधारों और जवाबदेही की मांग को फिर से प्रबल कर दिया है।
Edited by Hari Bhan Yadav