लखनऊ :
उत्तर प्रदेश 2022 विधानसभा चुनाव में बहुजन समाजवादी पार्टी की मुखिया व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने ब्राह्मण कार्ड की चुनावी विशात बिछा कर विपक्षी दलों को पटकनी देकर चारो खाने चित्त करने की मजबूत योजना बनायी है । बसपा को आगामी विधानसभा चुनाव में सबसे से कमजोर पार्टी माना जा रहा था । राम नगरी अयोध्या में बसपा ने ब्राम्हण सम्मेलन कर चुनावी शंखनाद कर आगामी विधानसभा चुनाव में जबरदस्त वापसी की है तो वही बसपा कार्यकर्ताओं में भी जबरदस्त नया जोश दिखने लगा है । बसपा बूथ स्तर पर ब्राह्मण-भाईचारा अभियान को शुरू करने जा रही है ।
आपको बताते चले कि बसपा सुप्रीमों मायावती राजनीति के अखाड़े में बहुत माहिर मानी जाती हैं । बसपा में मायावती के अलावा कोई और दूसरा बड़ा चेहरा भी नहीं है । बसपा सुप्रीमों की जिद और अड़ियल रवैए के कारण सभी सहयोगी साथ छोड़ गए । पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामअचल राजभर और लालजी वर्मा जैसे पार्टी के पुराने नेता बसपा को बोझिल लगने लगे थे । पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और विधायकों को निकालने का परिणाम प्रदेश के जिलों में दिखायी देने लगा था । बसपा धरातल पर गहरे गढ्ढे में गिरने लगी थी लेकिन बसपा सुप्रीमों के एक दांव ने विपक्षी दलों को जबरदस्त पटकनी देते हुए चारो खाने चित्त कर पार्टी में ताजा जोश भर दिया है ।
मायावती का देंगे संदेश
बसपा के एक नेता ने नाम न लिखने की शर्त पर कहा कि कानपुर मंडल में 27 विधानसभा सीटें हैं । बसपा कार्यकर्ता बूथों में जाकर ब्राह्मण-भाईचारा अभियान को शुरू करेंगे । बूथ स्तर पर ब्राह्मण परिवारों को बहनजी का संदेश भी देंगे।ब्राह्मणों का मान सम्मान सिर्फ बसपा में है और कही नही है । भाजपा, कांग्रेस, सपा समेत अन्य दलों ने सिर्फ ब्राह्मण समाज का प्रयोग किया है । बहुजन समाज और ब्राह्मण भाईचारा ही प्रदेश को विकास के पथ पर ले जा सकता है ।
बसपा नेता ने बताया कि बूथ स्तर पर ब्राह्मण वोटरों के घर-घर जाकर,बसपा में ब्राह्मणों की भागीदारी के संबंध में बताएं और उन्हे 2007 के विधानसभा चुनाव की याद दिलाएंगे । 2007 में ब्राह्मण वोटरों के सहयोग से बसपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी थी,बहनजी के कार्यकाल में प्रदेश का विकास चहुमुखी हुआ था । यूपी 2022 विधानसभा चुनाव में बहन जी का पांचवी बार मुख्यमंत्री बनना तय है । प्रदेश में बीजेपी की सरकार है, इस कार्यकाल में ब्राह्मणों को नजरंदाज किया ।
बसपा नेता ने कहा कि कानपुर के बिकरू कांड में बेकसूर खुशी दुबे को जेल में डाल दिया । खुशी पर गंभीर धाराओं में मुकदमें दर्ज किए गए। हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे अपराधी था, तो उसे पकड़कर अदालत के सामने पेश करते । विकास दुबे समेत उसके 6 साथियों को एनकांउटर में मार दिया गया। यह ब्राह्मणों के साथ अत्याचार है । खुशी दुबे का केस अभी तक ब्राह्मणसभा लड़ रही थी । लेकिन अब बसपा खुशी दुबे का केस लड़ेगी ।
आपको बता दे कि यूपी में 16 फीसदी ब्राह्मण हैं, जो किसी भी राजनीतिक पार्टी को सत्ता तक पहुंचाने की पूरी दम रखते हैं ।बसपा सुप्रीमों को 2007 में ब्राह्मण वोटरों ने सीएम की कुर्सी पर बैठाया था । आगामी विधानसभा चुनाव के लिए अब बहुत ही कम समय बचा है । सपा,बसपा और कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियों इस बात को भलीभांति जानती हैं कि ब्राह्मण वोटरों का एक बड़ा कुनबा प्रदेश सरकार से काफी नाराज है और इसी का फायदा उठाते हुए सभी राजनीतिक दल ब्राह्मण वोटरों को साधने में जी जान से जुटे हैं ।