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05 June, 2021

जाति-पाति तोड़क मण्डल" के संस्थापक सदस्य व प्रख्यात साहित्यकार सन्तराम बीए को याद करके हैं



     तुलसी दास जी के "जे वर्णाधम तेलि, कुम्हारा, स्वपच, किरात, कोल, कलवारा" में से कुम्हार जाति मे जन्मे महानतम समाज सुधारक एवं साहित्यकार सन्तराम बीए जी 31 मई 1988 को स्मृतिशेष हुए ।

     सन्तराम बीए जी 14 फरवरी 1887 ई को पंजाब सूबा के होशियारपुर जनपद के बसी गांव में एक कुम्भकार जाति में पैदा हुये ऐसे महानतम समाज सुधारक हैं जिन्होंने 1909 में तमाम जातिगत टिप्पड़ियों को सुनते हुये बीए की डिग्री हासिल कर सौ के आसपास किताबों की रचना की व अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन एवं उनमें लेखन किया । 

      सन्तराम बीए जी ने 1922 में परमानन्द जी के साथ मिलकर "जाति-पाति तोड़क मण्डल" नामक ऐतिहासिक व परिवर्तनकारी संगठन का निर्माण किया । इस संगठन के वार्षिक अधिवेशन को भारत रत्न बाबा साहब डॉ भीम राव अम्बेडकर जी को 1936 में सम्बोधित करना था । बाबा साहब द्वारा अपने भाषण की जब ड्राफ्टिंग संस्था को भेजी गयी तो उसके कई सदस्यों को वह पसन्द नहीं आई जिस नाते बाबा साहब इसमें अपना ब्याख्यान तो न दे सके लेकिन वह भाषण बाबा साहब के "जाति उच्छेद" या "एनिहिलेशन आफ कास्ट" नाम से प्रकाशित हो,उनकी अनमोल कृतियों में से एक बन गया ।

       सन्तराम बीए जी ने अपने संगठन "जाति-पाति तोड़क मंडल"के मंशानुसार अपने सभी बच्चों की शादियां जाति तोड़कर कीं।सन्तराम बीए जी की पुस्तक "हमारा समाज" व "मेरे जीवन के अनुभव" भारतीय सामाजिक इंतजामात को समझने हेतु उनकी अद्वितीय रचनाएं हैं । 31 मई 1988 को महामना सन्तराम बीए जी ने अपनी अंतिम सांस ली । हम आज अपने इस महानतम पुरखा को पूरी शिद्दत से याद करते हुये उन्हें श्रद्धा सुमन समर्पित करते हैं ।

"जाति-पाति तोड़क मण्डल" के संस्थापकों में से एक व प्रख्यात साहित्यकार सन्तराम बीए जी को स्मृति दिवस पर कोटिशः नमन ।

     - चन्द्रभूषण सिंह यादव, देवरिया