लखनऊ : वरिष्ठ पत्रकार एवं इंंडिया टुडे के पूर्व संपादक ने एनसीईआरटी की एक पुस्तक में छपी कविता पर सवाल उठाए हैं -
"किसने लिखी है ? कवि का नाम बताएँ । मेरा मानना है यह किसी महिला की रचना नहीं है ।
ये भी जानना आवश्यक है कि पहली क्लास में देश भर में पढ़ाई जाने वाली NCERT की इस किताब को मंज़ूर करने वाली समिति के अध्यक्ष कौन हैं।
इस कविता में निम्नलिखित समस्याएँ हैं -
1. जो किताब पूरे भारत में जाएगी, उसके हिसाब से “छोकरी” शब्द के प्रयोग से बचना चाहिये । छोकरी शब्द देश के कई हिस्से में अपमानजनक अर्थों में प्रयुक्त होता है । पाठ्यपुस्तक सलाहकार समिति में इसी वजह से देश भर के विद्वान रखे जाते हैं ।
2. आम की टोकरी को छह साल की बच्ची के माथे पर रखवाने से बचना चाहिए । बाल श्रम की अवधारणा समझ पाने के लिए कक्षा 1 के स्टूडेंट्स समर्थ नहीं हैं । ये कविता दरअसल बाल श्रम का सामान्यीकरण करती है ।
3. जिन वाक्यों या वाक्यांशों के एक से अधिक अर्थ निकल सकते हैं, और दूसरे अर्थ अशोभनीय हो सकते हैं, उनसे बचना चाहिए । खासकर बच्चों की किताबों में इसका विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए ।भाषा विज्ञानियों को इसका ख़्याल रखना चाहिए । ये कहना काफ़ी नहीं है कि गंदगी तो पढ़ने वाले के दिमाग़ में होती है ।
4. भाषा सिर्फ संप्रेषण करने वाले की नहीं होती है। भाषा जहां पहुँच रही है और जिन लोगों तक पहुँच रही है, वह भी महत्वपूर्ण हैं । अगर एक भी व्यक्ति शब्दों का वह अर्थ लगा रहा है, जो आप कहना नहीं चाहते तो भाषा संचार ने अपना उद्देश्य पूरा नहीं किया है ।
5. इस कविता को बच्चों की किताब में रखने या नहीं रखने पर पुस्तक सलाहकार समिति को पुनर्विचार करना चाहिए ।"
ये सवाल दागने वाले कोई और नहीं बल्कि चर्चा में रहने वाले पत्रकार "दिलीप सी मंडल" हैं । उन्होंने इस कविता को पाठ्यक्रम से हटाए जाने की मांग की है ।
(वाया सोशल मीडिया)